Kabira 2 lyrics कबीरा 2 लिरिक्स भजन कबीर जी के दोहों का दूसरा पार्ट है। इनके बोल नीचे लिखे हैं:
काल करे सो आज कर, आज करे सो अब,
काल करे सो आज कर, आज करे सो अब,
पल में परलेय होएगी, बहुरी करेगा कब..
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोई,
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोई,
जो मन खोजा आपना, मुझ से बुरा न कोई, कबीरा..
मुझ से बुरा न कोई..
दुख में सुमिरण सब करें, सुख में करे न कोए,
दुख में सुमिरण सब करें, सुख में करे न कोए,
जो दुख में सुमिरण करें, तो दुख काहे होए, कबीरा..
तो दुख काहे होए..
पोथी पढ़ पढ़ जग मोआ, भया न पंडित कोई,
पोथी पढ़ पढ़ जग मोआ, भया न पंडित कोई,
ढाई अक्षर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होए, कबीरा..
पढ़े सो पंडित होए..
माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रोंदे मोए,
माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रोंदे मोए,
इक दिन ऐसा आएगा, मैं रोंदूगी तोए, कबीरा..
मैं रोदूंगी तोए..
मेरा मुझ में कुछ नहीं, जो कुछ है सो तेरा,
मेरा मुझ में कुछ नहीं, जो कुछ है सो तेरा,
तेरा तुझको सोंप तो, क्या लागे है मेरा, कबीरा..
क्या लागे है मेरा..
निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटि छवाए..
निंदर नियरे राखिए, आँगन कुटि छवाए..
बिन पानी साबुन बिन, निर्मल करे सुहाए, कबीरा,
निर्मल करे सुहाए..
आशा है आपको कबीर जी के दोहे पसंद आए होंगे। राम जी के भजन पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें और हमारा यूट्यूब चैनल सब्सकराईब जरूर करना।